इस तेज़ गति से आधुनिक होते युग में अन्य सुविधाभोगी साधनों की तरह अपने वाहनों का उपयोग भी अनिवार्य सा हो गया है. और ये भी सच है की जितने अधिक वाहन बढ़ रहे हैं, दुखद रूप से दुर्घटनाएं भी बढ़ रही हैं. छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों तक में सड़क दुर्घटनाओं की दर में बेतहाशा वृद्धि हो रही है. विशेषकर दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में तो इन सड़क दुर्घटनाओं ने एक बड़ी समस्या का रूप ले लिया है. यही वजह है की दृघतना में आहात लोगों एवं उनके आश्रितों के लिए मुआवजे हेतु ,विशेष मोटर वाहन दुर्घटना क्लेम पंचाट का गठन किया गया है,जिसमें न्यायादेहीश दुर्घटना क्लेम संबन्धी दावों का निपटारा करते हैं. यहाँ ये स्पष्ट कर दें की किसी दुर्घटना के बाद पुलिस एक आपराधिक मुकदमा तो दर्ज करती ही है जो चालाक या सम्बंधित चालकों के विरुद्ध दर्ज किया जाता है. दूसरा मुकदमा पीड़ित पक्ष को या उसके आश्रित को डालना होता है. रेलवे दुर्घटना से सम्बंधित दावों और वादों के लिए ऐसे ही विशेष पंचाट अलग से बनाये गए हैं.
आइये उन बातों को जानते हैं जो किसी को भी दुर्घटना क्लेम का दावा डालते समय ध्यान में रखनी चाहिए . यहाँ ये बता दें की दुर्घटना क्लेम वाद में एक पक्ष या तो पीड़ित स्वयं होता है या दुर्घटना में किसी की मृत्यु हो जाने पर उसके वैध आश्रित होते हैं और दुसरे पक्ष में वाहन का चालाक , वाहन का मालिक तथा वाहन का इन्सुरेंस होने की स्थिति में इन्सुरेंस कंपनी होती है. दुर्घटना होते ही पुलिस अपना कार्य शुरू कर देती है,. आपराधिक मुकदमा दर्ज करना, गवाहों के बयान कलमबंद करना आदि. यूँ तो प्राथमिक सूचना रिपोर्ट तथा सम्बंधित कागजातों की एक प्रति पुलिस द्वारा सम्बंधित पक्षों एवं पीडितों को उपलब्ध कराई जाती है, किन्तु स्वयं उसे हासिल करके संभाल कर रखना चाहिए. दुर्घटना के पश्चात् पीड़ित व्यक्ति तथा सम्बंधित लोग मानसिक, आर्थिक एवं शारीरिक रूप से परेशान होते हैं...आजकल एक प्रवृत्ति जो विवादित होने के बावजूद चलन में है वो है की दुर्घटना के कुछ समय या दिनों के पश्चात् ही कोई वकील या उसकी तरफ से कोई व्यक्ति पिसित परिवार से मिलता है और भरी भरकम मुआवजा राशि दिलवाने का आश्वासन देकर आनन-फानन में मुकदमा डालने को प्रेरित करता है. जो अधिकांशतः गलत साबित होता है. इसलिए अच्छा ये होता है की जल्दबाजी में कोई कदम न उठाया जाए.
दुर्घटना क्लेम पंचाट किसी विवाद या दावे का निपटारा कैसे करता है , क्या मापदंड अपनाया जाता है , इसकी कार्यशैली क्या होती है .इसकी चर्चा से कोई भी ये आसानी से समझ सकता है की उसको क्या और कैसे करना है..और ये भी कितनी राशि का दावा करना चाहिए.. दरअसल पंचाट दो मुख्या क्षेत्रों पर सुनवाई करता है, वैसे दुर्घटना दावे जिनमें पीड़ित व्यक्ति जीवित होता है तथा अपने दावे का अहम् गवाह और लाभार्थी भी वही होता है. दुसरे वे दावे , जिनमें दुर्घटना के समय किसी की मृत्यु हो जाती है और मुकदमा उसके आश्रितों एवं वैध उत्तराधिकारियों द्वारा डाला जाता है. हलाँकि दोनों तरह के वादों का निपटारा लगभग एक जैसे ही किया जाता है मगर कुछ विशेष बातों का अंतर तो होता ही है...
दावाकार या वादी स्वयं पीड़ित व्यक्ति ही होता है तो पंचाट उसी की गवाही , उसी के द्वारा उपलब्ध साक्ष्य एवं कागजातों को आधार मानकर दावे का निपटारा करता है. ऐसे दावों में पंचाट पीड़ित व्यक्ति को चार विभिन्न मदों में भुगतान करने का आदेश प्रतिवादी को देती है. इलाज, यात्रा भत्ता, पोषाहार देतु तथा प्रभावित दिवसों में हुए आय का नुकसान .इसलिए पीड़ित व्यक्ति को चाहिए वो इलाज से सम्बंधित प्रत्येक कागज़ .दवाइयों की रसीद,अस्पताल आने जाने,रहने में लगे खर्चे की रसीदें तथा तथा पोषाहार हेतु लिए गए विशेष भोज्य पदार्थों पर हुए खर्च का सारा ब्यौरा संभाल कर रखे एवं गवाही के समय अदालत में उपस्थित करे.
दूसरी स्थिति में जब दुर्घटना में किसी की मृत्यु हो जाए तो उसके वैध आश्रित/उत्तराधिकारी द्वारा दुर्घटना क्लेम करने में पंचाट कुछ विशेष बातों का ध्यान रखती है. सबसे पहली तो ये की दावा करने वाला मृतक का वैध आश्रित/उत्तराधिकारी है. ये दोनों बातें यानि मृतक से दवाकार का सम्बन्ध तथा वैध उत्तराधिकारी/आश्रित होने का प्रमाण , दोनों ही दावा करने वाले व्यक्ति को पंचाट में saabit karnee hotee है. यानि पंचाट को संतुष्ट करना होता है. मृत व्यक्ति वाले दावों में भी पंचाट कुछ विशेष मदों में मुआवजा राशिः भुगतान का आदेश देती है. मृतक के अंतिम संस्कार पर किये गए खर्च जो की सामान्यतया दो हजार रुपया दिया जाता है. मृतक के परिवारवालों को हुई मानसिक परेशानी एवं आघात के मद में जो की सामान्यतया पच्चीस हजार रुपये होता है. तथा तीसरा एवं सबसे अहम् मृतक के परिवार को उस मृतक के चले जाने से हुई आर्थिक हानि.
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यहाँ ये बता दें की आर्थिक हानि हेतु पीड़ित या मृत व्यक्ति की आयु, uskee मासिक आय, रहन सहन पर किया जा रहा खर्च आदि सभी तथ्यों का गणितीय विश्लेषण करने के उपरांत ही मुआवजा राशिः तय की जाती है. एक अहम् बात मृतक से सम्बंधित दावे में पंचाट अंतरिम मुआवजा का आदेश भी देती है. ऐसा ही अंतरिम मुआवजा उस दुर्घटना क्लेम में भी दिया जाता है jismein पीड़ित व्यक्ति को मान्यताप्राप्त मेडिकल बोर्ड द्वारा स्थाई अपंगता का प्रमाणपत्र दिया गया है. हाँ , इसमें मुआवजे की राशि इसमें आम तौर पर पच्चीस हज़ार ही होती है.
पंचाट द्वारा मुआवजे राशि का भुगतान का आदेश भी एक विशेष व्यवस्था द्वारा किया जाता है. सामान्यतया कुल देय राशिः का अधिकतम बीस से पच्चीस प्रतिशत ही आदेश के तुंरत बाद भुगतान किया जाता है . शेष राशिः को पंचाट के आदेशानुसार नामित व्यक्तियों के नाम से बैंक में फिक्स दीपोजित करा दिया जाता है जो परिपक्वता के बाद उन्हें मिलता है. किसी अनिवार्य परिस्थिति में उक्त राशि को जारी करने हेतु प्रार्थनापत्र पंचाट में लगाया जा सकता है.
इसके अलावा कुछ और बातें भी ध्यान देने योग्य हैं. यदि दुर्घटना के समय चालाक के पास उक्त वाहन को चलाने का वैध लाईसेंस नहीं है तो मुआवजे के भुगतान का सारा jimma वाहन के मालिक के ऊपर पड़ जाता है . ऐसा इसलिए क्योंकि इससे इंश्योरेंस की शर्तों का उल्लंघन होता है. ऐसी दुर्घटनाएं जिनमें चश्मदीद गवाह नहीं होते उनमें १६३ (क ) के तहत कार्यवाई आगे बधाई जाती है. यानि कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है की एक विशेष कार्य पधात्ति के बावजूद मुआवजे की राशि बहुत कुछ वादी की स्थिति, आयु, और आय पर निर्भर करती है....
दुर्घटना क्लेम पंचाट किसी विवाद या दावे का निपटारा कैसे करता है , क्या मापदंड अपनाया जाता है , इसकी कार्यशैली क्या होती है .इसकी चर्चा से कोई भी ये आसानी से समझ सकता है की उसको क्या और कैसे करना है..और ये भी कितनी राशि का दावा करना चाहिए.. दरअसल पंचाट दो मुख्या क्षेत्रों पर सुनवाई करता है, वैसे दुर्घटना दावे जिनमें पीड़ित व्यक्ति जीवित होता है तथा अपने दावे का अहम् गवाह और लाभार्थी भी वही होता है. दुसरे वे दावे , जिनमें दुर्घटना के समय किसी की मृत्यु हो जाती है और मुकदमा उसके आश्रितों एवं वैध उत्तराधिकारियों द्वारा डाला जाता है. हलाँकि दोनों तरह के वादों का निपटारा लगभग एक जैसे ही किया जाता है मगर कुछ विशेष बातों का अंतर तो होता ही है...
दावाकार या वादी स्वयं पीड़ित व्यक्ति ही होता है तो पंचाट उसी की गवाही , उसी के द्वारा उपलब्ध साक्ष्य एवं कागजातों को आधार मानकर दावे का निपटारा करता है. ऐसे दावों में पंचाट पीड़ित व्यक्ति को चार विभिन्न मदों में भुगतान करने का आदेश प्रतिवादी को देती है. इलाज, यात्रा भत्ता, पोषाहार देतु तथा प्रभावित दिवसों में हुए आय का नुकसान .इसलिए पीड़ित व्यक्ति को चाहिए वो इलाज से सम्बंधित प्रत्येक कागज़ .दवाइयों की रसीद,अस्पताल आने जाने,रहने में लगे खर्चे की रसीदें तथा तथा पोषाहार हेतु लिए गए विशेष भोज्य पदार्थों पर हुए खर्च का सारा ब्यौरा संभाल कर रखे एवं गवाही के समय अदालत में उपस्थित करे.
दूसरी स्थिति में जब दुर्घटना में किसी की मृत्यु हो जाए तो उसके वैध आश्रित/उत्तराधिकारी द्वारा दुर्घटना क्लेम करने में पंचाट कुछ विशेष बातों का ध्यान रखती है. सबसे पहली तो ये की दावा करने वाला मृतक का वैध आश्रित/उत्तराधिकारी है. ये दोनों बातें यानि मृतक से दवाकार का सम्बन्ध तथा वैध उत्तराधिकारी/आश्रित होने का प्रमाण , दोनों ही दावा करने वाले व्यक्ति को पंचाट में saabit karnee hotee है. यानि पंचाट को संतुष्ट करना होता है. मृत व्यक्ति वाले दावों में भी पंचाट कुछ विशेष मदों में मुआवजा राशिः भुगतान का आदेश देती है. मृतक के अंतिम संस्कार पर किये गए खर्च जो की सामान्यतया दो हजार रुपया दिया जाता है. मृतक के परिवारवालों को हुई मानसिक परेशानी एवं आघात के मद में जो की सामान्यतया पच्चीस हजार रुपये होता है. तथा तीसरा एवं सबसे अहम् मृतक के परिवार को उस मृतक के चले जाने से हुई आर्थिक हानि.
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यहाँ ये बता दें की आर्थिक हानि हेतु पीड़ित या मृत व्यक्ति की आयु, uskee मासिक आय, रहन सहन पर किया जा रहा खर्च आदि सभी तथ्यों का गणितीय विश्लेषण करने के उपरांत ही मुआवजा राशिः तय की जाती है. एक अहम् बात मृतक से सम्बंधित दावे में पंचाट अंतरिम मुआवजा का आदेश भी देती है. ऐसा ही अंतरिम मुआवजा उस दुर्घटना क्लेम में भी दिया जाता है jismein पीड़ित व्यक्ति को मान्यताप्राप्त मेडिकल बोर्ड द्वारा स्थाई अपंगता का प्रमाणपत्र दिया गया है. हाँ , इसमें मुआवजे की राशि इसमें आम तौर पर पच्चीस हज़ार ही होती है.
पंचाट द्वारा मुआवजे राशि का भुगतान का आदेश भी एक विशेष व्यवस्था द्वारा किया जाता है. सामान्यतया कुल देय राशिः का अधिकतम बीस से पच्चीस प्रतिशत ही आदेश के तुंरत बाद भुगतान किया जाता है . शेष राशिः को पंचाट के आदेशानुसार नामित व्यक्तियों के नाम से बैंक में फिक्स दीपोजित करा दिया जाता है जो परिपक्वता के बाद उन्हें मिलता है. किसी अनिवार्य परिस्थिति में उक्त राशि को जारी करने हेतु प्रार्थनापत्र पंचाट में लगाया जा सकता है.
इसके अलावा कुछ और बातें भी ध्यान देने योग्य हैं. यदि दुर्घटना के समय चालाक के पास उक्त वाहन को चलाने का वैध लाईसेंस नहीं है तो मुआवजे के भुगतान का सारा jimma वाहन के मालिक के ऊपर पड़ जाता है . ऐसा इसलिए क्योंकि इससे इंश्योरेंस की शर्तों का उल्लंघन होता है. ऐसी दुर्घटनाएं जिनमें चश्मदीद गवाह नहीं होते उनमें १६३ (क ) के तहत कार्यवाई आगे बधाई जाती है. यानि कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है की एक विशेष कार्य पधात्ति के बावजूद मुआवजे की राशि बहुत कुछ वादी की स्थिति, आयु, और आय पर निर्भर करती है....


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