"लोस एंजिलिस " : शानदार शहर का परिचय



                      लावण्या शाह
                    (वरिष्ठ लेखिका )                        

.LAX- लोस एंजिलिस शहर का ही नहीं विश्व का सबसे व्यस्त और विशालतम एअर पोर्ट है परन्तु इस शहर में कई दूसरे भी विमान स्थल है जैसे बर्बेन्क इलाके का ये हास्य कलाकार " बोब होप " के नाम से पहचाना जाता विमान स्थल जहाँ आप १५ मिनटों में , आपका बैग लेकर बाहर आ पाते हैं बनिस्बत LAX एअर पार्ट के, जहाँ से बैग लेकर बाहर आते आते, ३ घंटे तो हो ही जायेंगे ...अगर आपको कहीं के लिए विमान लेना है तब तो ३ से ४ घंटे या ५ भी , घंटे पूर्व ही आप , लोस एंजिलिस के प्रमुख एअर पोर्ट के लिए अवश्य निकलें ...अन्यथा , आपका विमान , आपके बिना ही उड़ जाने की नौबत आ सकती है !!...हमें मुख्य हवाई अड्डे से ही , कोन्नेक्टिंग उड़ान लेनी थी ...अत: हम ३ घंटे पहले निकले और नोआ जी साथ थे इसलिए , हवाई अड्डे के भीतर भी लिफ्ट से , ऊपर या नीचे जाना था इस कारण , लम्बी लम्बी , कतारों से , बच गए ! :-)...लोस एंजिलिस के प्रमुख हवाई अड्डे के भीतर , आपको विश्व के हर देश और प्रांत से हर तरह की विमान सेवा के विमान कतार बध्ध खड़े दीखलाई देंगे टेक ऑफ़ के लिए २० से ज्यादा प्लेन खड़े होंगें ..और हवाई अड्डे के भीतर ही , अपने गेट तक आने के लिए असंख्य स्व चालित सीढीयाँ , एस्केलेटर और उस तक पहुँचने के लिए , अन्दर ही चलतीं ट्रेन में भी सवारी करनी पड़ती हैहमारा कोन्नेक्टिंग एअर पोर्ट था दक्षिण दिशा में बसा अटलांटा शहर जो जार्जिया प्रांत की राजधानी है। ये एअर पोर्ट भी अति बृहदाकार का है और वहाँ भी हमें इसी तरह एअर पोर्ट के भीतर ट्रेन से सवारी करनी पडी और एस्केलेटर या एलेवेटर या लिफ्ट से भी फासला तय करना पडा ( अमरीकी लिफ्ट के बजाय एलेवेटर ही कहते हैं और टैक्सी को कैब ही बुलाते हैं) --
एक " स्ट्रीट सिंगर " -- जिसे घेरे हुए, कन्याएं , बेल्जियम से आयीं थीं।
बाजार खुला हुआ था जहाँ बीचोंबीच , कई सारी गतिविधियाँ , मनोरंजन और मन बहलाव के लिए , सतत , चलतीं थीं ॥व्यस्त शहर के बीच बीच , फार्म फ्रेश , फल और सब्जियों की दुकाने भी तम्बू लगाकर बेच रहे थे और सारे फल ओर्गानिक, रसीले और बड़े आकार के थे ...
आजकल पीच , संतरा, नारंगी , एप्पल, अंगूर, फिग ( अंजीर ) शहतूत, चेरी , टमाटर, इत्यादी बहुत बड़ी मात्रा में , बाज़ार में आए हैं ...और उनसे बने , रस को सलाद के ड्रेसिंग में भी उपयोग में लिया जाता है - जैसे पीच के रस में मिर्च मिलाकर वो रस सलाद पे डालते हैं और यहाँ सलाद बहुत ज्यादा परोसा जाता है -- भोजन के पहले सलाद अवश्य खाते हैं -
हम ने घूमना शुरू किया ही था और दीखलाई दीं , दूकान की शोभा बढाती हुई पुतलियाँ या मॉडल .....
परिधान का विज्ञापन करते हुए ये , इस तरह दीखलाई दीं ....
और कार से , इस गली के नज़दीक से गुजरे तो जिज्ञासा हुई ,
की हम भी पता करें , के , यहाँ के घरों की कीमत क्या होगी ? ...



ये इलाका " सन - सेट बुलुवार्ड " के नाम से मशहूर है और लोस एंजिलिस शहर के शानदार और मंहगे इलाकों में इस एरिया का नाम है कईहोलीवुड से सम्बंधित लोग यहाँ आबाद हैं ....
हरियाली से भरा , मनोरम फूलों से हर बाग़ सजा , कलात्मक , एक दूस्ररे से अलग डिजाईन लिए , मुख्य द्वार , ऐसे , दरवाजे और डिजाईन से सजे सुंदर घर , देखते ही रहो ..इतने सुंदर हैं।
३ .८ मीलियन की आबादी वाला , शेहेर के मुख्य हिस्से में १२ .९ मिलियन नागरिक हैं जो दुनिया की तकरीबन , २२४ भाषाएँ बोलते हैं।

ये अमरीका का दुसरे नंबर पे आनेवाला ये शहर , १ ,२९० .६ km² में फैला हुआ है जो अप्रैल ४ , १८५० में म्युनिसिपल बना।
" हॉलीवुड " विश्व के सिने संसार के लिए भी यह जग विख्यात है और जग प्रसिध्ध युनिवर्सिटीज़् के लिए भी मशहूर है -- दक्षिण पेसेफिक महासागर के साथ साथ चलता ये विशाल शहर , टेलिविज़न, रेडियो, दूर संचार , व्यवसाय का केन्द्र तो है हीजग प्रसिध्ध युनिवर्सिटीज़् UCLA -- और
USC बहुत प्रसिध्ध हैं --पेपर्डाइन युनिवर्सिटी मेँ तैराकी और स्कुबा डाइवीँग विषय भी पाठ्यक्रम् मेँ शामिल हैँ और ये पेसेफीक महासागर के बिलकुल सामने बसा हुआ रमणीय विश्व विद्यालय है ।




पाम के पेड़ -- ये लोस एंजिलिस शहर की विशेषता है, यहाँ आकाश तक पहुँचते हुए ऐसे पेड़ , नीले आसमान से बातें करते हुए मानो ऊपर देखने के लिए बाध्य कर देते हैं !अकसर जहाँ घर होते हैं वहाँ कार की गति बहुत धीमी राखी जाती है ..फ्री वे पे ६५ या ७० मील की स्पीड से गाडियां दौड़तीं हैं !चलिए, आज इतना ही ...लोस एंजिलिस शहर १९७४ से १९७६ तक हमारा शहर रहा है और आज भी , अपना - सा लगता है जैसे बंबई भी ! जहाँ इतने साल गुजारें हों वह शहर अपना ही लगता है ना ! ..इसलिए मन किया आप से भी इस शानदार शहर का परिचय करा दूँ ...आशा है आपको भी Los Anjeles पसंद आया !पनों से या फिर उन विशिष्ट और प्रतिभाशाली व्यक्तिवों से जो बड़े होते समय रुचि अनुसार मन पर छाप छोड़ते हैं। 

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