दिल्ली मर रही है और आप इंतजार में क्यों हैं: SC

पल्यूशन को रोकने के मामले में सरकार के कदम को नाकाफी बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पूछा कि क्या केंद्र सरकार इस बात का इंतजार कर रही है कि लोग दिल्ली की सड़कों पर पल्यूशन के कारण मरें? अदालत ने यह टिप्पणी तब कि जब कोर्ट को बताया गया कि राजधानी दिल्ली में पल्यूशन के स्तर का पता लगाने के लिए सिर्फ तीन ही मॉनिटरिंग स्टेशन है साथ ही एनसीआर में एक भी नहीं हैं। कोर्ट ने 25 नवंबर तक पल्यूशन लेवल की ग्रेडिंग के हिसाब से ऐक्शन प्लान पेश करने को कहा है।


सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अगुवाई वाली बेंच ने सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या आप इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि लोग मरने लगें। आपने जो जवाब दिया है वह माकूल नहीं है। लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। चीफ जस्टिस ने कहा कि पल्यूशन का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है और आपके पास कोई प्लान तक नहीं है। कोर्ट ने कहा कि आपके पास कोई न कोई प्लान होना चाहिए, आपका तरीका काम चलाऊ है। 

कोर्ट के पूछे जाने पर केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने बताया कि दिल्ली में सिर्फ तीन जगह- दिलशाद गार्डन, शादीपुर और द्वारका में पल्यूशन कंट्रोल सेंटर हैं। तब कोर्ट ने पूछा कि इतनी आवादी वाली दिल्ली में ये तीन सेंटर क्या काफी हैं? 

सीपीसीबी काम चलाऊ तरीका अपना रही है 

बेंच ने सेंट्रल पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) से कहा है कि वह ग्रेडेड सिस्टम के बारे में पूछे गए सवाल पर काम चलाऊ तरीका अपना रही है। अदालत ने कहा कि प्लान ऐसा होना चाहिए कि अधिकारियों की जिम्मेदारी तय हो। पल्यूशन के अलग-अलग स्तर पर क्या-क्या कदम उठाए जाएंगे, कब स्कूल बंद होंगे, कब इंडस्ट्रीज बंद किए जाएंगे और एयर क्वालिटी को बेहतर करने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे, यह सब बताया जाए। 

बेंच ने कहा कि सीपीसीबी तमाम पक्षकारों के साथ 19 नवंबर को मीटिंग करे और फिर एक प्लान के साथ कोर्ट में आए। प्लान के तहत ये बताया जाए कि पल्यूशन लेवल को मेजर करने के लिए कहां-कहां सेंटर बनाया जाना है। सुनवाई की अगली तारीख 25 नवंबर तय की गई है।

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